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नेपाल सीमा पर सड़क काटकर बनाई ‘राह’, धड़ल्ले से तस्करी

सिद्धार्थनगर। भारत-नेपाल सीमा पर तस्करों ने न सिर्फ तस्करी के लिए इलाका तय किया है, बल्कि आवागमन में दिक्कत न हो इसके लिए सड़क काटकर रास्ता भी बना लिया है। उसी मार्ग से दोनों देशों के तस्कर लाखों का सामान इस पार से उस पार पहुंचा रहे हैं।
सीमावर्ती क्षेत्र के खुनुवां बार्डर के इलाके में करहिया गांव के टोला फकीरड़ीह उत्तर नो मेंस लैंड के पास पिच सड़क तोड़कर ऐसा ही मार्ग बनाया है। जहां बेधड़क होकर इधर से उर्वरक और उधर से लहसुन बार्डर पार किया जा रहा है। आसपास के लोगों के अनुसार दो किलोमीटर के दायरे में प्रतिदिन 40-50 लाख रुपये का सामान इधर से उधर हो जाता है।

बता दें कि सीमावर्ती क्षेत्र में नाले और नहर भी तस्करों के लिए मुफीद रास्ते बन जाते हैं। ठंड में घना कोहरा होने के कारण दिखाई कम पड़ता है। इसलिए इन नालों का पानी सूखने के बाद सेफजोन के रूप मेंं नया मार्ग बनाते हैं। इस मार्गों से बाइक व साइकिल पार होते हैं।
लेकिन सीमा पार होने के बाद ठिकाने तक पहुंचाने के लिए बड़े वाहन पिकअप आदि प्रयोग करते हैं। कैरियर के रूप में आसपास गांव के वह लोग हैं, जो साइकिल और बाइक से बॉर्डर पार करने का कार्य करते हैं। जिसके एवज में उन्हें राशि मिली है। यह लोग इस धंधे में सफल भी हैं, क्योंकि इन्हें पूरे रास्ते की जानकारी है। अगर घेराबंदी हो तो भाग निकलते हैं और सुरक्षा एजेंसियों के हाथ नहीं लगते हैं।
जिले की 68 किलोमीटर सीमा नेपाल से लगती है। जो पूरी तरह से खुली है और बिना रोक टोक के लोग आ और जा सकते हैं। आवागम सुगम बनाने के लिए सीमा से सटे गांवों के लोगों को आने-जाने के साथ सुरक्षा एजेंसियों को बार्डर पर गश्त करने के लिए सरकार ने बहुत पहले पिच सड़क बनवाई थी।
इसी सड़क से लोग अपने गंतव्य तक की यात्रा करते थे, अब बार्डर विकास के तहत नई सड़क बन गई। लोगों का आना-जाना अब इसी नये मार्ग से होता है। पुरानी पिच रोड़ का इस्तेमाल ज्यादातर नेपाली नागरिक, या फिर सड़क के किनारे बसे गांव के लोग करते हैं, जो बगहवा चौराहे से गुजरौलिया, करहिया मुख्य गांव होते हुए करहिया के टोला फकीरडीह के पूरब नो मेंस लैंड से सटे महली सागर तक जाता है।
मौजूदा समय में पिच रोड़ को तोड़कर तस्करों ने अपने बाइक के लिए रास्ता बना लिया जिससे सामान लदी बाइक आसानी से सीधे सीमा पार जा सके।
देख गया तो नाले से ऊपर चढ़ने में दिक्कत न हो इसलिए सड़क को काटकर रास्ते बना दिए हैं, जहां बाइक और साइकिल पर चढ़कर आसानी से पार कर सकते हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक दोनों देशों के तस्करों ने मिलकर यह कार्य किया है। नाले में पानी बहुत कम है, बालू होने के कारण बाइक और साइकिल धंसती भी नहीं है।
चढ़ाई में पलटने का डर था तो सड़क ही काट दिया। तस्करी के संबंध में जब विभाग के जिम्मेदारों से बात करने की कोशिश की गई तो कुछ भी बोलने से इन्कार कर रहे हैं।
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